सर्वधर्म भजन
सर्वधर्म भजन - एक संकलन स्थान ऐसे भजनों का जो मानवता को प्रिय हो. जो ईश्वर-गीत किसी एक धर्म को प्रिय हो लेकिन अन्य धर्मों को रास न आये , वो इस संग्रह के लिए उपयुक्त नहीं है. विभिन्न भजनकारों की रचनाओं को यहाँ भजनकार के नाम के साथ सम्मिलित किया जाएगा .
मन तरंग

लहरों सा उठता गिरता ये मानव मन निर्माण करता है मानवीय मानस चित्रण का
Monday, October 31, 2016
Monday, September 10, 2012
ईश्वर
अनादि तुम , निरांत तुम
प्रचंड तुम , प्रशांत तुम
सूक्ष्म तुम , विराट तुम
हो श्रृष्टि के सम्राट तुम
इस श्रृष्टि का निर्माण तुम
इस श्रृष्टि का संहार तुम
अनंत तुम , अजन्म तुम
हो अजर अमर अभय तुम
व्यापक हो , निराकार तुम
सम्पूर्ण निर्विकार तुम
न्यायी हो दयालु हो तुम
अनुपम हो कृपालु हो तुम
हो सत्य तुम, हो नित्य तुम
आनंद तुम , पवित्र तुम
भगवान हो सर्वेश तुम
आधार सब के ईश तुम
अंतर में विद्यमान तुम
हो सर्वशक्तिमान तुम
Saturday, July 28, 2012
आनंद दायक है प्रभु
आनंद दायक है प्रभु ,
आनंद देता है
मूढ़ है पर आदमी
दुःख ढूंढ लेता है
ईश्वर ने क्या दिया कोई -
कहने की बात है ?
सब दिख रहा चारों तरफ
यूँ साफ़ साफ़ है
रहने को दी है ये धरा
सर पे है आसमान
लेने को सांस वायु है
जिसमे बसे है प्राण
पीने को मीठा जल दिया
खाने को फल और शाक
बीजों में भर दी फसल यूँ
उगता रहे अनाज
मानव को सुन्दर तन दिया
जिसमें मिले सब अंग
हर अंग के उपयोग से
जीने का मिलता ढंग
सागर दिए नदिया भी दी
बादल बने अनंत
जब वृष्टि बन कर जल गिरे
आ जाता है वसंत
पत्तों को उसने रंग दिया
फूलों को उसने रूप
सूरज में भर दी रौशनी
जो आ रही बन धूप
रातों को देकर चाँद को
तारे सजाये हैं
पृथ्वी पे जिसकी चाँदनी
चादर बिछाये है
सबसे बड़ा उपकार उसने
हम पे है किया
चिंतन दिया , मनन दिया
मष्तिष्क जब दिया
आनंद देता है
मूढ़ है पर आदमी
दुःख ढूंढ लेता है
ईश्वर ने क्या दिया कोई -
कहने की बात है ?
सब दिख रहा चारों तरफ
यूँ साफ़ साफ़ है
रहने को दी है ये धरा
सर पे है आसमान
लेने को सांस वायु है
जिसमे बसे है प्राण
पीने को मीठा जल दिया
खाने को फल और शाक
बीजों में भर दी फसल यूँ
उगता रहे अनाज
मानव को सुन्दर तन दिया
जिसमें मिले सब अंग
हर अंग के उपयोग से
जीने का मिलता ढंग
सागर दिए नदिया भी दी
बादल बने अनंत
जब वृष्टि बन कर जल गिरे
आ जाता है वसंत
पत्तों को उसने रंग दिया
फूलों को उसने रूप
सूरज में भर दी रौशनी
जो आ रही बन धूप
रातों को देकर चाँद को
तारे सजाये हैं
पृथ्वी पे जिसकी चाँदनी
चादर बिछाये है
सबसे बड़ा उपकार उसने
हम पे है किया
चिंतन दिया , मनन दिया
मष्तिष्क जब दिया
Wednesday, July 27, 2011
शक्ति दो
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
कष्ट जीवन में मेरे प्रभु
दुःख जीवन में मेरे प्रभु
कष्ट को मैं वहन कर लूँ
दुःख को मैं सहन कर लूँ
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
कुछ हुआ मुझसे जुदा है
ले गया अंतिम विदा है
उसको हे प्रभु मुक्ति देना
मुझको हे प्रभु शक्ति देना
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
एक दिन सबको है जाना
सब सही है , मैंने माना
मोह से है कष्ट होता
मोह से मन भी है रोता
शक्ति दो प्रभु शक्ति दो !
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
कष्ट जीवन में मेरे प्रभु
दुःख जीवन में मेरे प्रभु
कष्ट को मैं वहन कर लूँ
दुःख को मैं सहन कर लूँ
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
कुछ हुआ मुझसे जुदा है
ले गया अंतिम विदा है
उसको हे प्रभु मुक्ति देना
मुझको हे प्रभु शक्ति देना
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
एक दिन सबको है जाना
सब सही है , मैंने माना
मोह से है कष्ट होता
मोह से मन भी है रोता
शक्ति दो प्रभु शक्ति दो !
Wednesday, July 6, 2011
यज्ञ एक क्रांति है
श्रेष्ठ कर्म यज्ञ है , परम धर्म यज्ञ है
आपस के प्रेम का , सत्य मर्म यज्ञ है
यज्ञ विश्व शांति है , यज्ञ बिन अशांति है
जीवन के तिमिर में, यज्ञ एक क्रांति है
यज्ञ वेद गीत है, यज्ञ विश्व मीत है
यज्ञ के बिन हार है , यज्ञ से ही जीत है
यज्ञ तो सुगंध है , यज्ञ गुण अबंध है
वायु के सुधार का, यज्ञ ही प्रबंध है
यज्ञ मन की शक्ति है , यज्ञ ईश भक्ति है
यज्ञ व्यक्ति से नहीं , यज्ञ से ही व्यक्ति है
Wednesday, May 18, 2011
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सुख की वर्षा करो नाथ अब
दुःख के कारण दूर करो प्रभु
दुःख दुनिया से हरो नाथ अब !
सुख के दाता तुम हो प्रभुजी
दुःख है हमरे काज
हम अज्ञानी, हम हैं मूरख
हम पर अपना धरो हाथ अब !
जब देखें सब अच्छा देखें
बुरा न देवें ध्यान
ऐसी आँखें दे दो हमको
मन में श्रद्धा भरो नाथ अब !
Tuesday, February 22, 2011
ईश्वर ! ईश्वर ! ईश्वर !
ईश्वर ! ईश्वर ! ईश्वर !
पंछियों के कलरव में
जंगलों के नीरव में
कोयल की कुहुक में
चिड़ियों की चहक में
होता है एक स्वर -
ईश्वर ! ईश्वर ! ईश्वर !
वर्षा की टप टप में
मेढक की टर टर में
बिजली की तड़पन में
पत्तों की खडकन में
होता है एक स्वर -
ईश्वर ! ईश्वर ! ईश्वर !
नव-शिशु के रोने में
चुप होके सोने में
नन्ही सी धड़कन में
हलकी सी सिहरन में
होता है एक स्वर -
ईश्वर ! ईश्वर ! ईश्वर !
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