मन तरंग

मन तरंग
लहरों सा उठता गिरता ये मानव मन निर्माण करता है मानवीय मानस चित्रण का

Wednesday, May 18, 2011

सर्वे भवन्तु सुखिनः

सुख की वर्षा करो नाथ अब
दुःख के कारण दूर करो प्रभु
दुःख दुनिया से हरो नाथ अब !

सुख के दाता तुम हो प्रभुजी 
दुःख है हमरे काज 
हम अज्ञानी, हम हैं मूरख
हम पर अपना धरो हाथ अब  !

जब देखें सब अच्छा देखें 
बुरा न देवें ध्यान 
ऐसी आँखें दे दो हमको 
मन में श्रद्धा भरो नाथ अब !  

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