मन तरंग

मन तरंग
लहरों सा उठता गिरता ये मानव मन निर्माण करता है मानवीय मानस चित्रण का

Wednesday, July 27, 2011

शक्ति दो

शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !
शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !

कष्ट जीवन में मेरे प्रभु
दुःख जीवन में मेरे प्रभु
कष्ट को मैं वहन कर लूँ
दुःख को मैं सहन कर लूँ

शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !

कुछ हुआ मुझसे जुदा है
ले गया अंतिम विदा है
उसको हे प्रभु मुक्ति देना
मुझको हे प्रभु शक्ति देना

शक्ति दो प्रभु , शक्ति दो !

एक दिन सबको है जाना
सब सही है , मैंने माना
मोह से है कष्ट होता
मोह से मन भी है रोता

शक्ति दो प्रभु शक्ति दो !

No comments:

Post a Comment