मन तरंग

मन तरंग
लहरों सा उठता गिरता ये मानव मन निर्माण करता है मानवीय मानस चित्रण का

Wednesday, February 16, 2011

तन मंदिर

जीवन को अर्थ दीजिये
सांसे मत व्यर्थ लीजिये
क्षण क्षण का मोल बहुत है
हर दिन कुछ कर्म कीजिये
जीवन को अर्थ दीजिये

मंदिर है तन आपका
सांसे हैं क्रम जाप का
ईश्वर साक्षात् आत्मा
ईश्वर की भक्ति कीजिये
जीवन को अर्थ दीजिये

बुद्धि है चिंतन मनन
मन जिसमे भगवत  भजन
भोजन नैवैध्य देव का
भावना से भोग कीजिये
जीवन को अर्थ दीजिये

ईश्वर की पूजा है कर्म
कर्म को ही समझे बस धर्म
स्वस्थ  मन शरीर स्वस्थ हो
योग प्राणायाम कीजिये
जीवन को अर्थ दीजिये

मंदिर को साफ़ कीजिये
स्नान ध्यान आप कीजिये
तन मन को निर्मल करें
तन का अभिषेक कीजिये
जीवन को अर्थ दीजिये

पूजा का फल मिलेगा
जीवन को बल मिलेगा
चित्त में प्रसन्नत्ता रहे
जीवन दीर्घायु कीजिये
जीवन को अर्थ दीजिये

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