मन तरंग

मन तरंग
लहरों सा उठता गिरता ये मानव मन निर्माण करता है मानवीय मानस चित्रण का

Monday, September 10, 2012

ईश्वर


अनादि तुमनिरांत तुम
प्रचंड तुमप्रशांत तुम  

सूक्ष्म तुमविराट तुम
हो श्रृष्टि के सम्राट तुम

इस श्रृष्टि का निर्माण तुम
इस श्रृष्टि का संहार तुम

अनंत तुमअजन्म तुम
हो अजर अमर अभय तुम

व्यापक हो , निराकार तुम
सम्पूर्ण निर्विकार तुम

न्यायी हो दयालु हो तुम
अनुपम हो कृपालु हो तुम

हो सत्य तुम, हो नित्य तुम
आनंद तुमपवित्र तुम

भगवान हो सर्वेश तुम
आधार सब के ईश तुम

अंतर में विद्यमान तुम
 हो सर्वशक्तिमान तुम